12th Physics Electrostatics VVI Question And Topic In Hindi :-
Electrostatics (स्थिरविधुत)
स्थिर विद्युत भौतिक विज्ञान की एक शाखा है जिसके अंतर्गत आवेशों के स्थिरावस्था का अध्ययन किया जाता है। स्थिर आवेशों द्वारा उत्पन्न बलो, क्षेत्रों तथा विभवो के बारे में अध्ययन ही स्थिरविधुत ( Electrostatics) कहलाता है। आज हम आपको 12th Physics Electrostatics VVI Questions And Topics in Hindi बारे में बताएंगे।
पाठको से अनुरोध है कि हमारे द्वारा लिखी गई सारी लेख समय समय पर Update होती रहेंगी। इसमें और भी Topics जोड़े जाएंगे।
विद्युत आवेश ( Electric Charge)
विद्युत आवेश एक राशि है जो पदार्थो के परस्पर रगड़ के कारण उत्पन्न होती है। सभी पदार्थ परमाणु से बने होते हों और परमाणु इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रोन से बने होते है। इन मौलिक कणों संतुलन के कारण पदार्थ उदासीन होते है। जब ये पदार्थ की से रगड़ कहते है तो इनमे आवेशों का संतुलन बिगड़ जाता है ओर पदार्थ आवेशित हो जाते है।
आवेश उत्पति का कारण इलेक्ट्रानों का स्थानांतरण होता है।एक वस्तु इलेक्ट्रॉन खोकर धनावेशित होती है तो दूसरी वस्तु इलेक्ट्रान पाकर ऋणावेशित होती है। इस प्रकार आवेश पदार्थ का मूलभूत गुण है जो पदार्थ निहित रहता है और जब किसी पदार्थ से रगड़ खाता है तो आवेश प्रकट करता है।
आवेश एक अदिश राशि है और इसका SI मात्रक कूलंब होता है।अमेरिकी वैज्ञानिक बैंजामिन फ्रैंकलिन ने आवेशों को धनात्मक तथा ऋणात्मक कहा। इस प्रकार आवेश दो प्रकार के होते है।
1. धनात्मक आवेश ( Positive Charge)
2. ऋणात्मक आवेश ( Negative Charge )
Note:-
विजातीय आवेशों के बीच आकर्षक तथा सजातीय आवेशों के बीच प्रतिकर्षण होता है।
Note:-
किसी वस्तु पर यदि कोई आवेश होता है तो वह वस्तु विधुनमय या आवेशित या आविष्ट कहलाती है।
चालक ( Conductor )
वे पदार्थ जिनमे से होकर आवेश का सरलता से स्थान्तरण होता है या पदार्थ अपने में से होकर विद्युत धारा को प्रवाहित होने देते है चालक कहलाते है। जैसे मानव शरीर, धातु, पृथ्वी
इन पदार्थो में मुक्त इलेक्ट्रान पाए जाए है।
अचालक या विधुतरोधी ( Insulator )
जो पदार्थ अपने से होकर प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा पर उच्च प्रतिरोध लगते है या ऐसे पदार्थ जिनसे होकर विद्युत धारा का प्रवाह नही होता अचालक या विधुतरोधी कहलाते है। जैसे :- लकड़ी, प्लास्टिक , कांच , नाइलॉन इत्यादि।
NOTE:-
किसी चालक पर जब कुछ आवेश स्थान्तरित किया जाता है तो वह आवेश उस चालक के पूरे पृष्ठ पर फैल जाता है। जबकि कुछ आवेश यही विधुतरोधी को दिया जाता है तो वह आवेश वही स्थिर राह जाता है।
NOTE:-
पदार्थ का एक तीसरी वर्ग अर्धचालक भी होता है। जिनका प्रतिरोध चालक और अचालक के बीच होता है।
जैसे सिलिकॉन और जर्मेनियम
वैधुत आवेश का मूलगुण ( Property of Electric Charge )
हम जानते है कि आवेश दो प्रकार के होते है। धनावेश तथा ऋणावेश , इनमे एक दूसरे के प्रभाव को निरस्त करने की प्रवृत्ति होती है। विद्युत आवेश के तीन गुण धर्म होते है।
योजयता :- वैधुत आवेशों की योजयता से हमारा तात्पर्य यह है कि किसी निकाय का कुल आवेश उस निकाय के सभी एकाकी आवेशों का विजगणितीय योग होता है।
किसी निकाय में n आवेश q1 , q2 , q3............ qn होतो निकाय का कुल आवेश
q1+q2+q3+-----------+qn
संरक्षण:- विधुत आवेशों के संरक्षण का अर्थ है कि किसी वियुक्त निकाय का कुल आवेश समय के साथ अपरिवार्तित रहता है। अर्थात जब घर्षण द्वारा वस्तुएं आवेशित की जाती है तो आवेशों का एक वस्तु से दूसरी वस्तु में स्थानान्तर होता है कोई नया आवेश उतपन्न नहीं होता है और नहीं आवेश नस्ट होता है।
क्वांटमीकरण:- विधुत आवेशों के क्वांटमी करण से तात्पर्य है कि किसी वस्तु का कुल आवेश सदैव ही एक मूल आवेश क्वांटम ( e=1.6×10to power -19 C) का पूर्णाक गुणज होता है। अर्थात
q=+-ne
NOTE:-
किसी वस्तु पर न्यूनतम आवेश एक इलेक्ट्रॉन के स्थानांतरण से उत्पन्न होता है और इसका मैन 1.6×10to power-19 है।
कूलंब का नियम ( Coulomb's Law)
Important
दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाले स्थिर विधुत बल की माप सर्वप्रथम फ़्रांसिसी वैज्ञानिक ca कूलांब ने की और उससे संबंधित एक नियम प्रतिपादित किया जिसे कुलांब का नियम कहते है।
इसके अनुसार "दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल दोनों आवेशों के परिमाणों के गुणनफल के अनुक्रमानुपति तथा उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है। तथा यह दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है।
माना कि
दो बिंदुओं आवेशों q1 तथा q2 के बीच निर्वात में पृथकन r है आवेशों के बीच लगने वाले बल का परिमाण F होतो
●------------------------>---------●
Q1 >>>r>>>>> Q2
F समानुपाती |q1 q2 |
12th Physics Electrostatics VVI Question And Topic In Hindi |
कुलाम्ब नियम से संबंधित मुख्य बातें:-
1) कुलाम्ब नियम केवल बिंदु आवेशों के लिए मान्य है। कुलाम्ब बल केंद्रीय बल है क्योंकि यह बल आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश लगता है।
2) यह नियम दो आवेशों के बीच क्रियाशील बल के लिए मात्रात्मक पृथकन है।
3) कुलाम्ब बल एक अन्योन्य प्रक्रिया व्यक्त करता है पहले आवेश द्वारा दूसरे परआरोपित बल F21 तथा दूरसे आवेश द्वारा पहले पर आरोपित बल F12 समान परिमाण के होते है।
F12 = -F21
इस प्रकार कुलाम्ब नियम न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुरूप है।
एकांक आवेश (Unit Charge)
कुलाम्ब नियम के अनुसार F = 1/4π£° • q1q1/r2
यदि q1 =q2=1C तथा r = 1m होतो
F= 1/4π£°● 1×1/(1)2 = 9×10 topower 9 N
अतः एकांक आवेश वह आवेश है जो निर्वात में अपने बराबर परिमाण के सजातीय आवेश से एक मीटर की दूरी पर रखने पर 9×10 कर पवार 9 न्यूटन बल से प्रतिकर्षित करता है।
NOTE:-
आवेश का SI मात्रक कुलाम्ब है जो बहुत बड़ा मात्रक है व्यवहार में इसके छोटे मात्रक माइक्रो कुलाम्ब तथा नैनो कुलाम्ब है।
1UC= 10topower-6C
1NC= 10topower-9C
यह U का तात्पर्य भौतिकी विज्ञान के म्यु से है।
बहुल आवेशों के बीच बल
दो आवेशों के बीच वैधुत बल कुलाम्ब नियम द्वारा प्राप्त होता है परन्तु किसी आवेश पर अनेक आवेशों द्वारा लगने वाले बल की गणना के लिए कुलाम्ब नियम पर्याप्त नहीं है। इसके लिए अध्यारोपण सिद्धान्त उपयोगी होता है। किसी आवेश पर कई अन्य आवेशों के कारण बल उस आवेश पर लगे उन सभी बलो के सदिश योग के बराबर होता है जो इन आवेशों द्वारा इन आवेशों पर एक एक कर लगाया जाता है।
किसी एक आवेश द्वारा विशिष्ट बल अन्य आवेशों की उपस्थित के कारण प्रभावित नहीं होता है। इसे अध्यारोपण सिद्धान्त कहते है।
विद्युत क्षेत्र ( Electric Field )
किसी आवेश अथवा आवेश निकाय के चारो और का वह क्षेत्र जहाँ कोई अन्य आवेश आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल का अनुभव करता है। विधुत क्षेत्र कहलाता है। क्षेत्र के किसी बिंदु पर I प्रतिकांक परीक्षण आवेश पर लगने वाला बल विधुत क्षेत्र कहलाता है।
माना कि-
किसी बिंदु पर परीक्षण आवेश q, f बल का अनुभव करता है। तो विधुत क्षेत्र की तीव्रता
E = F/q
(E तथा F पर सदिश चिन्ह अनिवार्य है। आपको शुत्र लिखते वक्त सदिश चिन्ह देना है।)
यह एक सदिश राशि है इसका SI मात्रक न्यूटन प्रति कुलाम्ब होता है। या VM-1
NOTE:-
वह आवेश जिसके द्वारा विधुत क्षेत्र उतपन्न होता है उसे श्रोत आवेश कहते है। वह आवेश जो श्रोत आवेश के प्रभाव का परीक्षण करता है , परीक्षण आवेश कहलाता है
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